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भ्रस्टाचार कोई नया मुद्दा नहीं बल्कि सॅन ७० के दशक से फलता फुलता हुआ एक नया आयाम तय कर चुका है ६ माह पूर्व पूरा देश महगाई की दोहाई दे रहा था जिसका खामियाजा कॉंग्रेस को पूर्वे मे हुए चुनाव मे भुगतना पड़ा था वहीं आज भ्रस्टाचार से पूरा देश त्रस्त है बावजूद इन दिनो चुनाव मे मीडीया पूरे देश का ध्यान भ्रस्टाचार से हटाने सफल हुआ है जब की सभी को पता हैं देश मे हुए कई बड़े बड़े घोटाले हुएं जिस की जांच भी भ्रस्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है| वहीं अन्य पार्टिया भी भ्रस्टाचार और मंहगाई को मुद्दा बनाने से डर रही है क्यों की वो खुद इस जड़ मे बैठे हैं| समाचार पत्र मे सम्पादकीया पन्नों पर बरवीर पुंज जहां उत्तर प्रदेश मे सपा व बसपा पर टिप्पडी करते हुए बचते दिखे वही उनकी सोच भी किसी एक को निशाना बनाती हुई दिखी| वहीं राजीव सचान को भी १६वी लोकसभा चुनाव मे एक छोड़ सभी बेईमान दिख रहे हैं वोह पिछले पांच सालों की घटना क्रम पर शोध करने के बाद इस नतीजे पर पहुंचे हैं उन्हें अन्ना की ड्रॅफटिंग कॉममेटि व जनलोकपाल विधयक् सदन की बहस सांसदों की चाल सदन से गैरजरूरी वाकऔट की घटना मामूली दिखी| सुप्रीम कोर्ट भी माननीयों के मुकदमों को सिघ्र निपटाने का निर्देश देने से काफी राहत मिल सकती है परंतु आम गरीब जनता की मामले सिघ्र निपटाने की किसी को जल्दी नहीं दिखी | देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी भी थोथे साबित हो रही है देश के भ्रस्त नेता सांसद भी सुरक्षित सीट की तलाश मे भागते हाप्ते दिखे वहीं देश मे चुनाव मीडिया ने रास्ट्रिया पार्टियों के लिये मोदी बनाम केजरीवाल कर दिया है| चुनाव बाद तीसरा मोर्चा बनवाने की टुकतुकी लगाये कुछ लोग बैठे जो अपने पसंद की सरकार बनवाएंगे और सी बी आई को अपने सिकंजे मे ले कर पी एम पर दबाव मे लायेंगे नहीं करने देंगे सी बी आई को मनमानी के फंडे पर ही यकीन रखते हैं |
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