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संघ ने मोदी की वजह से अपने उमीईद्वार नहीं उतारा है और पीएम पद के लिये मोदी नहीं संघ चुनाव लड़ रहा है मोदी के पी एम बनने के बाद संघ अपने वास्तविक रोल मे आयेगा | जिस पार्टी को सींच कर आडवाणी ने उस एस्तान पर ला खड़ा किया तथा जिसने हमेशा से पी एम पद के लिए अपनी छाप छोड़ी उसे पार्टी के हासिये पर खड़ा कर दिया गया | पी एम पद की हाइशियत से देखा जाये तो भाजपा की सबसे तेज व अच्छी उम्मीदवार मानी जानी वाली सुषमा स्वराज को ना जाने कैसे दूर रखा गया | पहले से शहरी क्षेत्र मे विकसित गुजरात मे ऐसा क्या दिख गया की १० सालों से सत्ता से दूर भाजपा को अरुण जेटली और अडवाणी, सुषमा की जगह मोदी ही नजर आने लगे| हालांकि जिस जनलोकपाल के लिये देश की 80 प्रतिशत जनता सड़कों पर आ गये थी और कॉंग्रेस भाजपा समेत सभी बड़े दल संसद से भागते नज़र आये तो कुछ संसद मे अपने जेमीदारियों से भागते नज़र आये| जिसे वही कॉंग्रेस और भाजपा मिलकर पास कर वा लिया| संसद और विधान सभा मे बिल को किस तरह पेश किया जाता है और वर्तमान सांसद द्वारा कितना रुचि ली जाती है यह संसद सत्र मे सॉफ तौर से दिखता है| चाहे कुछ भी हो मीडीया अपनी सही भूमिका नहीं निभा रही है
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